चिकन पॉक्स को चेचक या छोटी माता भी कहा जाता है। यह एक संक्रामक बीमारी है जो कि वेरिसेला-जोस्टर वायरस (Varicella-Zoster Virus – VZV) के कारण होती है।
यह बीमारी दो प्रकार की होती है — एक छोटी माता या चेचक और दूसरी बड़ी माता या बड़ी चेचक।छोटी चेचक में शरीर पर छोटे-छोटे दाने होते हैं और बड़ी चेचक में शरीर पर बड़े दाने होते हैं या फफोले हो जाते हैं। इस बीमारी में खुजली, जलन एवं बुखार भी होते हैं। यदि इसे नजरअंदाज किया जाए तो यह पूरे शरीर में फैल जाता है और समस्या गंभीर हो सकती है।
चेचक के लक्षण:
चेचक का मुख्य लक्षण है कि शरीर पर खुजली वाले दाने दिखने लगते हैं। यह संक्रमण लगभग 10 से 20 दिनों में दिखने लगता है और ये लगभग 8-10 दिनों तक रहते हैं।
तो आइए इनके जन्म से संबंधित निम्नलिखित लक्षणों के बारे में जानते हैं, जो कि इस प्रकार हैं:
- लाल या गुलाबी खुजली वाले दाने: ये दाने पहले चेहरे पर दिखते हैं और फिर ये पेट, पीठ, छाती और पूरे शरीर पर फैल सकते हैं।
- बुखार: चिकन पॉक्स के संक्रमण से पहले हल्का बुखार होता है, फिर ये बढ़कर तेज भी हो सकता है।
- सिरदर्द: संक्रमित व्यक्ति को हल्का या मध्यम सिरदर्द भी हो सकता है।
- भूख न लगना: चेचक के संक्रमण वाले व्यक्ति को भूख कम लगती है या खाने की इच्छा कम हो जाती है।
- थकान और कमजोरी: इससे संक्रमित व्यक्ति थकान और कमजोरी अधिक महसूस करता है।
- त्वचा पर चकत्ते: जो दाने होते हैं शरीर पर वही दाने चकत्ते या फफोले बन सकते हैं, जिनमें पानी भरा होता है, जिसके फूटने या छूने से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण का खतरा हो सकता है।
- मांसपेशियों में दर्द (Muscle Pain): इसमें व्यक्ति के शरीर में दर्द और अकड़न भी हो सकती है।
- नींद की कमी (Insomnia): चेचक होने पर शरीर में खुजली, जलन एवं बेचैनी के कारण नींद पर भी प्रभाव पड़ता है।
- सर्दी के लक्षण: चिकन पॉक्स होने पर सर्दी जैसे लक्षण भी होते हैं जैसे कि गले में खराश, सिरदर्द, नाक बहना आदि।
- दाने फूटकर पपड़ी बनना: शरीर पर जो फफोले होते हैं, वो फूटकर बहने के बाद उसमें से जो पानी निकलता, है वह सूखकर पपड़ी में बदल जाता है।
चिकन पॉक्स के कारण:
यह संक्रमण वेरिसेला जोस्टर वायरस से होता है और ये अन्य निम्नलिखित कारणों से फैल सकता है:
1.) यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैल सकता है।
2.) संक्रमित व्यक्ति के खाँसने या छींकने से हवा के द्वारा फैल सकता है।
3.) यह संक्रमण उस व्यक्ति के छालों से निकलने वाले तरल पदार्थ को छूने या उसके संपर्क में आने से हो सकता है।
4.) संक्रमित व्यक्ति के उपयोग किए हुए सामानों का इस्तेमाल करने से भी संक्रमण हो सकता है।
5.) चिकन पॉक्स बच्चों में अधिक होता है लेकिन यह किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है।
6.) जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली अधिक कमजोर होती है, उस व्यक्ति को यह संक्रमण जल्दी हो सकता है।
7.) वेरिसेला वैक्सीन का टीका नहीं लगवाने से भी हो सकता है।
चिकन पॉक्स से बचाव के उपाय:
इससे बचाव का कोई निश्चित उपाय नहीं है लेकिन निम्नलिखित उपायों से इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है।
- आराम करना: चिकन पॉक्स या चेचक होने पर यदि व्यक्ति को पर्याप्त आराम मिले, तो इस संक्रमण से ठीक होने में मदद मिल सकती है।
- लोशन का उपयोग: खुजली से राहत पाने के लिए कैलामाइन लोशन का उपयोग कर सकते हैं और नहाने के लिए ठंडे पानी का इस्तेमाल करें।
- हाइड्रेट रहें: गर्मी के मौसम में इस बीमारी से बचने के लिए पानी, जूस एवं तरल पदार्थ का अधिक मात्रा में सेवन करें।
- दर्द और बुखार के लिए दवा का उपयोग: इस बीमारी में दर्द और बुखार से राहत पाने के लिए पैरासिटामोल जैसी दवाओं का उपयोग कर सकते हैं लेकिन एस्पिरिन ना लें।
- संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखना: संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखना उनके लिए सबसे ज्यादा जरूरी होता है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो, किन्तु संक्रमण से बचाव तो सबके लिए जरूरी होता है।
- स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना: किसी भी बीमारी से बचाव के लिए स्वच्छता सबसे ज्यादा जरूरी होती है, इसलिए प्रतिदिन कुछ भी खाने से पहले एवं शौच के बाद सबसे पहले हाथ साबुन से जरूर धोना चाहिए।
चिकन पॉक्स के कुछ घरेलू उपाय:
- बेकिंग सोडा स्नान: हल्के गर्म पानी में एक कप बेकिंग सोडा मिलाकर स्नान करें। बेकिंग सोडा के एंटीसेप्टिक और एंटीमाइक्रोबियल गुण इस संक्रमण को ठीक करने में सहायता करते हैं।
ओटमील स्नान: ओटमील को गर्म पानी में पीसकर कुछ मिनट के लिए भिगोकर रखें, फिर भीगे हुए पेस्ट को किसी कपड़े में अच्छे से बांधकर, उस पोटली को नहाने वाले गर्म पानी में 10-15 मिनट के लिए डालें। फिर उसी पानी से स्नान करें। इस पानी के स्नान से त्वचा की खुजली और जलन कम होती है।
अदरक स्नान: नहाने के पानी में थोड़ा अदरक पाउडर मिलाकर इस पानी से 10 मिनट तक स्नान करें। अदरक के प्राकृतिक एंटीवायरल गुण चिकन पॉक्स के वायरस को कम करने में सहायक हो सकते हैं।
एलोवेरा जेल: एलोवेरा जेल को दिन में दो-तीन बार चेचक से प्रभावित स्थान पर लगाने से खुजली एवं सूजन से आराम मिलता है। और यदि इसका नियमित इस्तेमाल किया जाए तो चेचक के निशान को कम किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल करने से त्वचा को ठंडक मिलती है।कैमोमाइल टी कम्प्रेस: कैमोमाइल टी बैग को ठंडा करके चेचक से प्रभावित स्थान पर लगाने से खुजली एवं सूजन से आराम मिल सकता है।
टीकाकरण:
चिकन पॉक्स से बचाव के लिए टीकाकरण सबसे प्रभावी तरीका है। वेरिसेला वैक्सीन लगवाने से चेचक की संभावना कम हो जाती है। यह 12 महीने से ज्यादा उम्र के बच्चों और बड़ों को भी लगाया जा सकता है।
टीकाकरण के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी:
- टीकाकरण क्यों जरूरी: चेचक एक संक्रामक बीमारी है जो कि खुजली, जलन, चकत्तों एवं बुखार का कारण बन सकती है, इसलिए टीकाकरण जरूरी है।
- टीकाकरण करने का तरीका: वेरिसेला वैक्सीन को इंजेक्शन के रूप में दिया जाता है।
- टीकाकरण कब होता है: बच्चों को पहली खुराक 12 से 15 महीने की उम्र में दी जाती है और दूसरी खुराक बच्चों को 4-6 साल की उम्र में दी जाती है।
- 3 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए: जिन लोगों को कभी चेचक नहीं हुआ हो या फिर जिन्होंने टीका नहीं लगवाया है, उन लोगों को कम से कम 28 दिन के अंतराल से 2 खुराकें लगवा सकते हैं।
टीकाकरण के बाद की समस्या: यह वैक्सीन लगवाने के बाद कुछ लोगों को हल्का बुखार या फिर वैक्सीन की जगह पर हल्की सूजन हो सकती है, जो कि कुछ दिन बाद ठीक हो जाती है। लेकिन यदि किसी को अधिक समस्या दिखे तो प्रशिक्षित डॉक्टर से संपर्क करें।
चिकन पॉक्स होने पर परहेज:
- चेचक होने पर सोडियम युक्त आहार कम खाना चाहिए।
- चेचक के संक्रमण के समय ऑयली या जंक फूड नहीं खाना चाहिए।
- चेचक होने पर खट्टे फल जैसे – नींबू, संतरा, मौसमी नहीं खाने चाहिए।
- चिकन पॉक्स होने पर भोजन में गर्म मसालों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
- चेचक में अधिक गरम पदार्थों के सेवन से बचें।
चिकन पॉक्स में क्या खाना सेहत के लिए अच्छा है:
- चिकन पॉक्स में शरीर को हाइड्रेटेड रखने के लिए नारियल पानी एवं पानी अधिक मात्रा में पीना चाहिए।
- इसमें बिना तेल के उबली हुई सब्जियों का सेवन करें जैसे: गाजर, बीन्स, पत्ता गोभी, आलू, ब्रोकली आदि।
- रागी में फाइबर और कैल्शियम होता है, इसलिए बिना तेल के इससे बने खाद्य पदार्थों का सेवन किया जा सकता है, जैसे कि रागी से बना दलिया, रागी डोसा, रागी इडली आदि।
- कुछ लोगों के मन में अक्सर ये सवाल आता है कि चेचक में दूध पी सकते हैं या नहीं, तो आज हम बताते हैं कि चेचक होने पर घर का ताजा दूध पी सकते हैं और ताजे दूध से बनाए गए खाद्य पदार्थों का भी सेवन कर सकते हैं।
- इसमें आप दही और छाछ का भी सेवन कर सकते हैं। इनमें मौजूद प्रोबायोटिक्स और कैल्शियम चेचक में फायदेमंद होते हैं और त्वचा के लिए भी लाभकारी होते हैं।
निष्कर्ष:
चिकन पॉक्स एक संक्रामक बीमारी है, जिससे बचने के लिए साफ-सफाई एवं टीकाकरण सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। यह गर्मी के मौसम में अधिक फैलता है, इसलिए इस मौसम में अधिक सावधानी बरतने की जरूरत होती है।
यदि यह संक्रमण हो जाए तो इसे सही देखभाल एवं घरेलू तरीकों से ठीक किया जा सकता है। लेकिन यदि इन उपचारों से राहत न मिले तो अपने डॉक्टर से परामर्श लेने में देरी न करें।
(सतर्क रहें, सुरक्षित रहें।)
FAQs
चिकन पॉक्स में नहाना चाहिए या नहीं?
चिकन पॉक्स में गुनगुने पानी से नहा सकते हैं लेकिन नहाते समय यह ध्यान रखें कि फफोलों को रगड़ना नहीं चाहिए।
क्या चिकन पॉक्स दोबारा हो सकता है?
वैसे तो चिकन पॉक्स दोबारा बहुत कम होता है लेकिन कभी-कभी यह वायरस शरीर में छिपा रह सकता है। फिर यह shingles (Herpes zoster) के रूप में सक्रिय हो सकता है।
क्या गर्भवती महिलाओं को चेचक का टीका लगवाना चाहिए?
गर्भवती महिलाओं को इसका टीका नहीं लगवाना चाहिए।
क्या चिकन पॉक्स का टीका अन्य टीकों के साथ दिया जा सकता है?
हाँ, चिकन पॉक्स का टीका कण्ठमाला, खसरा और रूबेला (MMR) के साथ मिलाकर दिया जा सकता है, जिसे MMRV कहा जाता है।
पॉक्स कैसे फैलता है?
चिकन पॉक्स संक्रमित लोगों के खांसने, छींकने, उनके इस्तेमाल किए गए सामानों या फफोलों के संपर्क में आने से फैल सकता है।