गर्मी में होने वाली बीमारियां: जानिए 10 आम बीमारियां, लक्षण और घरेलू बचाव उपाय

गर्मी में होने वाली बीमारियां: जानिए 10 आम बीमारियां, लक्षण और घरेलू बचाव उपाय

10 Common Summer Diseases: Causes, Symptoms & Home Remedies

गर्मी के मौसम में बहुत सी बीमारियों (Common summer illnesses) का खतरा रहता है। तेज धूप, बढ़ते तापमान एवं उमस की वजह से यह मौसम अपने साथ कई स्वास्थ्य संबंधी बीमारियां लेकर आ सकता है। इसलिए इस ब्लॉग के द्वारा हम आपको गर्मी में होने वाली बीमारियां, उनके लक्षण, कारण एवं उपचार के बारे में अवगत कराने वाले हैं।

Table of Contents

1. लू लगना (Heat Stroke)

गर्मी में लू लगना एक गंभीर समस्या है जिसमें शरीर का तापमान असामान्य रूप से बढ़ जाता है। तेज धूप और पानी की कमी इसके प्रमुख कारण हैं।

लू लगने के लक्षण

लू लगने के लक्षण:

लू लगने पर व्यक्ति के शरीर में गर्मी बढ़ सकती है, सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। आइए इसके और भी लक्षणों के बारे में विस्तार से जानते हैं:

  • लू लगने पर शरीर का तापमान अचानक से बढ़ सकता है और यह 104 डिग्री से भी ज्यादा हो सकता है।
  • सर दर्द के साथ चक्कर आना।
  • उल्टी या जी मचलाना।
  • त्वचा में सूखापन या त्वचा का गर्म होना।
  • बेहोश होना।

लू लगने के कारण:

लू लगने का प्रमुख कारण है शरीर का गर्म हवाओं के संपर्क में आना। इसके और भी अन्य कारण हो सकते हैं, जो कि इस प्रकार हैं:

  • तेज धूप में बाहर निकलना।
  • शरीर में पानी की कमी।
  • अधिक तापमान में ज्यादा समय तक काम करना।
  • मोटे या गर्म कपड़े पहनना।
  • अत्यधिक नशीले और धूम्रपान जैसे पदार्थ का सेवन करना।

लू लगने का उपचार: जब लू लग जाए तो क्या करें?

यदि किसी व्यक्ति को लू लग जाए तो उसे तुरंत ठंडक वाली जगह पर लेटाकर ठंडे पानी की पट्टियां करें एवं उसे नींबू पानी, नारियल पानी आदि तरल पदार्थ पिलाएं। यदि समस्या गंभीर हो तो डॉक्टर को दिखाएं।

2. डिहाइड्रेशन (Dehydration)

डिहाइड्रेशन शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी के कारण होता है, जिससे थकान, चक्कर और कमजोरी महसूस होती है।

डिहाइड्रेशन का इलाज

डिहाइड्रेशन के लक्षण:

डिहाइड्रेशन शरीर में तरल पदार्थ की कमी से होता है, जिसके कारण रक्तचाप भी कम हो सकता है। इसके कुछ मुख्य लक्षण इस प्रकार हैं।

  • भूख न लगना।
  • गर्मी में भी ठंड लगना।
  • पैरों में सूजन होना।
  • मांसपेशियों में दर्द होना।
  • मुंह, आंखें एवं और सूखना।

डिहाइड्रेशन के कारण:

शरीर में पानी की कमी होना डिहाइड्रेशन है। डिहाइड्रेशन के विभिन्न कारण हो सकते हैं, जो कि इस प्रकार हैं:

  • पानी कम पीना।
  • डायरिया होना।
  • ज्यादा पसीना आना और नमक की कमी।
  • धूप में ज्यादा देर तक रहना।
  • कैफीन का अधिक सेवन करना।
डिहाइड्रेशन का इलाज
  • दिन भर में कम से कम 8 से 10 ग्लास पानी जरूर पिएं।
  • ज्यादा से ज्यादा ताजे फलों का जूस पीना।
  • इलेक्ट्रोलाइट से भरपूर ड्रिंक का सेवन करना।
  • तरबूज, खीरा, खरबूजा आदि मौसमी फलों का सेवन अधिक करना।
  • नारियल पानी पीना।

3. डायरिया (Diarrhea)

गर्मी में दूषित पानी या भोजन से डायरिया होना आम है, जिसमें बार-बार पतले दस्त और पेट में मरोड़ की समस्या होती है।

डायरिया का उपचार

डायरिया के लक्षण:

बार-बार पतला या पानी जैसा दस्त होना, पेट में ऐंठन, उल्टी होना या दस्त में खून और बलगम आना डायरिया बीमारी के लक्षण हैं। इसके अन्य लक्षण इस प्रकार हैं:

  • पेट में ऐंठन के साथ दर्द होना।
  • दस्त में खून या बलगम आना।
  • पेट फूलना।
  • बार-बार पतला दस्त आना।
  • जी मिचलाना और उल्टी होना।

डायरिया के कारण:

डायरिया का मुख्य कारण संक्रमण या दूषित भोजन हो सकता है। इसके और भी कई अन्य कारण हो सकते हैं, जो कि इस प्रकार हैं:

  • बासी या खराब भोजन खाना।
  • गंदे हाथों से भोजन करना।
  • अधिक तेल-मसाले वाला भोजन करना।
  • बिना उबला पानी पीना।
  • कब्ज या एसिडिटी होना।

डायरिया का उपचार

डायरिया होने पर पानी अधिक पिएं, ओआरएस (ORS) का सेवन करें और हल्का भोजन करें जो कि आसानी से पच जाए जैसे कि मूंग दाल की खिचड़ी, काले चावल और सब्ज़ियों का सूप।

4. फूड प्वाइजनिंग (Food Poisoning)

फूड प्वाइजनिंग

फूड प्वाइजनिंग दूषित भोजन या दूषित पदार्थों के सेवन से हो सकती है। फूड प्वाइजनिंग के लक्षण इस प्रकार हैं:

फूड प्वाइजनिंग के सामान्य लक्षण:

  • भोजन के बाद पेट में दर्द होना।
  • बुखार आना।
  • थकान और कमजोरी महसूस होना।
  • सर दर्द होना।
  • उल्टी होने से पहले ही जी मिचलाना।

फूड प्वाइजनिंग के गंभीर लक्षण:

  • खूनी दस्त होना।
  • 102 डिग्री से अधिक बुखार होना।
  • शरीर में पानी की कमी होना।
  • निगलने में समस्या होना।
  • चक्कर आना।

फूड प्वाइजनिंग के कारण:

कुछ बैक्टीरिया, वायरस या परजीवी जो खाद्य पदार्थों के माध्यम से फैलते हैं, फूड प्वाइजनिंग का कारण बन सकते हैं। इसके अन्य कारण भी हो सकते हैं, जैसे:

  • दूषित या खराब भोजन खाना।
  • स्वच्छता की कमी।
  • ज्यादा ऑयली एवं मिर्च-मसालेदार भोजन करना।
  • बाहर मिलने वाले खुले खाद्य पदार्थों का सेवन।
  • आधा पका हुआ मांस, मछली, अंडे का सेवन।

फूड प्वाइजनिंग का उपचार

ओआरएस (ORS) का घोल पिएं और नारियल पानी आदि से शरीर को हाइड्रेट करें। फूड प्वाइजनिंग होने पर हल्के खाद्य पदार्थ जैसे दही, केला या पतली खिचड़ी खाएं। दही में प्रोबायोटिक होने के कारण यह अच्छे बैक्टीरिया बढ़ाते हैं और इस समस्या से राहत दिलाते हैं।

5. सनबर्न (Sunburn)

सूर्य की पराबैंगनी किरणों के संपर्क में आने से त्वचा लाल हो जाती है, इसमें जलन या दर्द भी हो सकता है, जिसे सनबर्न या धूप की कालिमा कहते हैं।

सनबर्न

सनबर्न के लक्षण:

  • त्वचा में सूजन होना।
  • छोटे-छोटे पानी से भरे छाले होना।
  • त्वचा को छूने पर गर्म महसूस होना।
  • आंखों में दर्द या चुभन महसूस होना।

सनबर्न के कारण:

  • तेज धूप में बाहर निकलना।
  • अधिक धूप में सनकोट या सनस्क्रीन का इस्तेमाल न करना।
  • सूर्य की पराबैंगनी किरणों के संपर्क से।
  • टैनिंग बेड का इस्तेमाल करना।
  • पराबैंगनी किरणों (UV-किरणों) के प्रति अधिक संवेदनशील त्वचा या हल्की त्वचा होना।

सनबर्न के लिए उपचार

प्रभावित त्वचा पर एलोवेरा जेल लगाएं, ठंडे पानी से स्नान करें, बाहर निकलने से पहले सनस्क्रीन का प्रयोग करें और हल्के एवं ढीले कपड़े पहनें। इस मौसम में शरीर को हाइड्रेट रखना एवं बीमारियों से बचने के लिए पानी अधिक मात्रा में पिएं।

6. आंख आना (कंजंक्टिवाइटिस / आई फ्लू)

आई फ्लू के लक्षण

आंख आने को कंजंक्टिवाइटिस या आई फ्लू (Eye Flu) भी कहा जाता है। आंखों में यह समस्या वायरल, बैक्टीरिया या संक्रमण के कारण हो सकती है। आई फ्लू के लक्षण इस प्रकार हैं:

आई फ्लू के लक्षण:

  • आंखें लाल या गुलाबी होना।
  • पलकों में सूजन होना।
  • आंखों में दर्द या किरकिरापन महसूस होना।
  • कभी-कभी धुंधला दिखाई देना।
  • आंख में आंसू के साथ खुजली एवं जलन।

आई फ्लू के कारण:

  • आई फ्लू वायरस, एलर्जी या बैक्टीरिया के कारण होता है।
  • धूल, मिट्टी या गंदगी से भी हो सकता है।
  • क्लोरीन के संपर्क से भी हो सकता है।
  • मौसमी बदलाव या सर्दी के कारण भी होता है।
  • संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से भी हो सकता है।

उपचार: कैसे करें आई फ्लू से बचाव?

आई फ्लू होने पर बार-बार आंखों से पानी आता है इसलिए आंखों को गर्म पानी के रुमाल से हल्के हाथों से साफ करें एवं इस समय पर नहाने में बेबी शैंपू का इस्तेमाल करें। आंखों में गुलाब जल डालें एवं घर से बाहर निकलते समय चश्मा जरूर पहनें। टीवी या मोबाइल आदि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग करने से बचें। किसी के इस्तेमाल किए हुए कपड़े, मेकअप, काजल आदि का उपयोग बिलकुल न करें।

7. घमौरियां (Heat Rash)

घमौरियों का उपचार

घमौरियों को मेडिकल भाषा में मिलेरिया नहीं बल्कि “हीट रैश” कहा जाता है। यह गर्मी के मौसम की आम समस्या है। जब पसीने की ग्रंथियां बंद हो जाती हैं और पसीना बाहर नहीं निकल पाता, तो त्वचा पर छोटे-छोटे लाल दाने निकल आते हैं, जिसे घमौरियां कहा जाता है। इसके लक्षण इस प्रकार हैं:

घमौरी के लक्षण:

  • छोटे-छोटे लाल या गुलाबी दाने निकलना।
  • जलन एवं चुभन महसूस होना।
  • बंद वाले स्थान पर खुजली अधिक होना।
  • पसीना आने पर जलन जैसा महसूस होना।
  • दाने बढ़ने पर सूजन होना या फफोलों में बदलना।

घमौरी के कारण:

  • अधिक टाइट एवं सिंथेटिक कपड़े पहनना।
  • अधिक शारीरिक गतिविधि करना।
  • त्वचा के रोमछिद्रों का बंद हो जाना।
  • गर्म और उमस भरा मौसम।
  • त्वचा की स्वच्छता पर ध्यान न देना।

घमौरियों का उपचार

घमौरियों से राहत पाने के लिए खस एवं चंदन का लेप लगा सकते हैं। एलोवेरा जेल को घमौरी पर लगाने से ठंडक मिलती है। मुल्तानी मिट्टी एवं गुलाब जल का पेस्ट या दही को लगाने से जलन एवं खुजली से राहत मिलती है। नारियल तेल में कपूर मिलाकर लगाने से या नीम की पत्तियों को उबालकर पानी में डालकर नहाने से घमौरियों से राहत मिलती है।

और भी पढ़ें: घमौरी के कारण, लक्षण और बचाव: आजमाएं ये 11 असरदार उपाय और पाएं घमौरियों से आराम

8. पीलिया (Jaundice)

पीलिया के लक्षण

पीलिया को इंग्लिश में जॉन्डिस कहते हैं। पीलिया होने पर त्वचा एवं आंखों के सफेद भाग में पीलापन आ जाता है। यह लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने से रक्त में बिलीरूबिन की मात्रा अधिक बढ़ जाने के कारण हो सकता है। इसके लक्षण इस प्रकार हैं:

पीलिया के लक्षण:

  • आंखों का सफेद भाग पीला होना।
  • मल एवं पेशाब का रंग गहरा पीला होना।
  • वजन कम होना।
  • त्वचा पर खुजली होना।
  • भूख न लगना एवं थकान होना।

पीलिया के कारण:

  • लीवर की समस्या।
  • अत्यधिक शराब का सेवन।
  • हेपेटाइटिस संक्रमण।
  • पित्त की थैली में पथरी या पित्त की नली में रुकावट।
  • संक्रमित भोजन या पानी ग्रहण करना।

पीलिया का उपचार

पीलिया होने पर शरीर को आराम देना चाहिए। आराम करने से लीवर जल्दी ठीक होता है। ताजे फलों का सेवन करें जैसे पपीता, संतरे का रस, मौसमी आदि। शरीर में पानी की कमी न होने दें, इसके लिए नींबू पानी, नारियल पानी, छाछ आदि का अधिक मात्रा में सेवन करें। शराब या धूम्रपान से परहेज करें एवं भोजन हल्का एवं जल्दी पचने वाला करें। अगर पीलिया गंभीर स्थिति में हो जैसे कि त्वचा अधिक पीली हो या आंखों में अधिक पीलापन हो, उल्टी या बेहोशी हो तो डॉक्टर को तुरंत दिखाएं।

9. चेचक (चिकनपॉक्स)

चेचक के लक्षण

चिकनपॉक्स (Chickenpox) एक संक्रामक रोग है, जो वैरीसेला वायरस के कारण होता है। इसे चेचक या छोटी माता के नाम से भी जाना जाता है। इसके प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं:

चेचक के लक्षण:

  • शरीर में लाल दाने या फुंसियां निकलना।
  • तेज बुखार आना।
  • चेहरे, पीठ और पेट से दानों की शुरुआत।
  • दानों में अधिक जलन होना।
  • भूख में कमी।
  • थकान और कमजोरी।

चिकनपॉक्स के कारण:

  • चिकनपॉक्स या चेचक का मुख्य कारण वैरीसेला ज़ोस्टर वायरस (VZV) है।
  • संक्रमित व्यक्ति के हंसने या छींकने से भी फैलता है।
  • संक्रमित व्यक्ति की फुंसियों से निकले हुए तरल पदार्थ के संपर्क से भी फैल सकता है।
  • समय पर चिकनपॉक्स का टीका न लगवाना।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना।

चेचक का उपचार

नीम के पत्तों को पानी में उबालकर नहाने से आराम मिलता है एवं खुजली भी कम होती है। नहाने के बाद नारियल तेल लगाएं। चंदन का लेप लगाने से भी जलन एवं खुजली से राहत मिलती है। भरपूर पानी और तरल पदार्थ जैसे नारियल पानी, नींबू पानी से बात पिलाएं जिससे शरीर में पानी की कमी न हो। संक्रमित व्यक्ति से दूरी एवं स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।

10. टाइफाइड: आंत का बुखार

टाइफाइड के लक्षण

टाइफाइड (Typhoid) को आंत का बुखार भी कहते हैं। यह बुखार एक संक्रमण है, जो कि Salmonella Typhi नामक बैक्टीरिया से होता है। इसके लक्षण इस प्रकार हैं:

टाइफाइड के लक्षण:

  • लगातार तेज बुखार आना।
  • सर दर्द होना।
  • अधिक कमजोरी और थकान होना।
  • भूख न लगना।
  • तेज ठंड लगना।

टाइफाइड के कारण:

  • टाइफाइड साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया के कारण होता है।
  • पानी से भी हो सकता है।
  • संक्रमित व्यक्ति के मल के संपर्क में आने से भी टाइफाइड हो सकता है।
  • आसपास गंदगी होने के कारण भी टाइफाइड हो सकता है।
  • संक्रमित व्यक्ति द्वारा बनाए गए भोजन को खाने से भी हो सकता है।

टाइफाइड का उपचार

टाइफाइड से बचने के लिए टीकाकरण जरूर करवाएं एवं भोजन को अच्छी तरह पका कर खाएं। खाने से पहले हाथ जरूर धोएं। बाहर मिलने वाले खुले भोजन एवं कटे हुए फल का सेवन बिलकुल न करें। टाइफाइड के मरीज को साफ उबला हुआ पानी पिलाएं।

निष्कर्ष:

गर्मी के मौसम में होने वाली बीमारियां ज्यादातर शरीर में पानी की कमी से होती हैं, इसलिए हमें इस मौसम में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं करनी चाहिए। अगर हम थोड़ी सावधानी और साफ-सफाई का ध्यान रखें जैसे कि हल्के एवं ढीले कपड़े पहनें, साफ पानी पिएं, दोपहर के समय धूप में निकलने से बचें और पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, तो इन मौसमी समस्याओं से आसानी से बच सकते हैं।

FAQs

गर्मी में कौन-कौन सी बीमारियां होती हैं?

गर्मी के मौसम में हीट रैश, डायरिया, फूड प्वाइजनिंग, पीलिया, चेचक आदि बीमारियां होती हैं।

आंतों की गर्मी के क्या लक्षण हैं?

आंतों की गर्मी में खाना खाने पर खट्टी डकार आना, उल्टी होना, छाती या गले में जलन, भूख कम लगना, पेट में दर्द और कब्ज आदि लक्षण हो सकते हैं।

किसी भी व्यक्ति को गर्मी से होने वाली बीमारी पर क्या करना चाहिए?

उसे व्यक्ति को ठंडे स्थान पर लेटाएं, शरीर को गीले कपड़े से पोंछें और उसे पानी पिलाते रहें।

गर्मी के मौसम में लू लगने से कैसे बचा जा सकता है?

गर्मी में लू से बचने के लिए दिन के सबसे गर्म समय (दोपहर 12 से 3 बजे) में बाहर निकलने से बचें, हल्के और ढीले कपड़े पहनें, और खूब सारा पानी या नींबू पानी पिएं।

डिहाइड्रेशन के क्या शुरुआती लक्षण होते हैं?

डिहाइड्रेशन की शुरुआती पहचान है – मुंह सूखना, चक्कर आना, थकावट और पेशाब का गहरा रंग। गर्मी में पानी की कमी से डिहाइड्रेशन आम हो जाता है।

गर्मी में बच्चों को सबसे ज्यादा कौन सी बीमारियाँ होती हैं?

बच्चों में गर्मी में फूड पॉइजनिंग, डायरिया, लू लगना और घमौरियों की समस्या सबसे ज्यादा देखी जाती है क्योंकि उनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है।

टाइफाइड और डायरिया में क्या फर्क होता है?

टाइफाइड एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है जिसमें बुखार और कमजोरी प्रमुख लक्षण हैं, जबकि डायरिया में बार-बार दस्त, पेट दर्द और डिहाइड्रेशन होता है।

गर्मी से जुड़ी बीमारियों से बचने के लिए डेली रूटीन कैसा होना चाहिए?

सुबह-शाम हल्का व्यायाम करें, दिनभर खूब पानी पिएं, ताजे फल और सब्जियां खाएं, और बाहर के खाने से बचें ताकि गर्मी में इम्यून सिस्टम मजबूत बना रहे।

Image & media credit: Canva Premium

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