बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए टीकाकरण एक बहुत महत्वपूर्ण कदम है। यह किसी भी प्रकार के संक्रामक रोगों से बच्चों को बचाने में मदद करता है, यह स्वस्थ और सुरक्षित समाज का निर्माण करता है। इस ब्लॉग में आपको बच्चों के टीकाकरण का महत्व (Importance of immunization), इसके लाभ, और इससे जुड़ी सामान्य शंकाओं के समाधान के बारे में जानकारी होगी।
बच्चों के टीकाकरण का महत्व क्यों है? Importance of immunization in children:

बच्चों के टीकाकरण का महत्व:
संक्रामक रोगों से बचाव:
कुछ घातक और खतरनाक बीमारियाँ होती हैं, जैसे: खसरा, डिप्थीरिया, टेटनस, पोलियो, और काली खांसी। इन बीमारियों के टीके लगवाकर बच्चों को सुरक्षित किया जा सकता है।
रोगों के प्रसार को रोकना:
जब ज्यादा बच्चे टीका लगवाते हैं तो एक सुरक्षित समुदाय का निर्माण होता है, एक (हर्ड इम्युनिटी) बनती है। इस वजह से बीमारियाँ कम फैलती हैं।
बच्चों का स्वस्थ विकास:
टीका लगवाने से बच्चे बहुत-सी बीमारियों से सुरक्षित हो जाते हैं, जिस वजह से उनका शारीरिक और मानसिक विकास सही ढंग से होता है।
भविष्य की पीढ़ियों की सुरक्षा:
कुछ गंभीर बीमारियाँ जैसे: चेचक, जो टीका नियमित रूप से लगवाने से दुनिया से लगभग खत्म हो चुकी हैं। नियमित तरीके से टीका लगवाकर अन्य बीमारियों को भी खत्म किया जा सकता है।
आर्थिक बचत:
यदि कोई बीमारी हो जाती है तो इलाज में बहुत पैसा खर्च हो जाता है, जबकि टीकाकरण करवाने से बच्चों को सुरक्षित किया जा सकता है और यह आर्थिक रूप से भी लाभदायक होता है।
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भारत में बच्चों के लिए अनिवार्य टीके (Childhood Vaccine Schedule: Immunizations By Age)

भारत में बच्चों को कई जरूरी टीके लगाए जाते हैं। भारत सरकार द्वारा संचालित “सार्वजनिक टीकाकरण कार्यक्रम” (Universal Immunization Program- UIP) के तहत निम्नलिखित टीके दिए जाते हैं। बच्चों का टीकाकरण चार्ट (आंगनवाड़ी टीकाकरण चार्ट):
टीका | बीमारी से बचाव | समयावधि |
---|---|---|
BCG | क्षय रोग (टीबी) | जन्म के समय |
हेपेटाइटिस बी | हेपेटाइटिस बी | जन्म के समय |
पोलियो (OPV) | पोलियो | 6 सप्ताह, 14 सप्ताह |
IPV | पोलियो | जन्म के समय |
DPT | डिप्थीरिया, काली खांसी, टेटनस | 6 सप्ताह, 10 सप्ताह, 14 सप्ताह |
MMR | खसरा, गलसुआ, रूबेला | 9-12 महीने, 16-24 महीने |
टाइफाइड | टाइफाइड | 9-12 महीने |
रोटावायरस | डायरिया | 6 सप्ताह, 10 सप्ताह, 14 सप्ताह |
न्यूमोकोकल (PCV) | निमोनिया, मेनिन्जाइटिस | 6 सप्ताह, 10 सप्ताह, 9 महीने |
इसके अलावा, 5 साल, 10 साल और 16 साल की उम्र में बूस्टर डोज भी दिए जाते हैं।

निष्कर्ष:
टीकाकरण न केवल बच्चों को बल्कि पूरे समाज को सुरक्षित बनाता है। माता-पिता को चाहिए कि अपने बच्चों का टीकाकरण जरूर कराएँ। किसी भी अफवाह और गलतफहमी के कारण टीकाकरण न रोकें।

FAQs
क्या टीकाकरण के कोई दुष्प्रभाव होते हैं?
ज़्यादातर टीकों से हल्के-फुल्के दुष्प्रभाव होते हैं, जैसे- टीके की जगह पर सूजन, हल्का बुखार या इंजेक्शन वाली जगह पर हल्का दर्द, लेकिन ये अपने आप कुछ दिन में ठीक हो जाते हैं। गंभीर दुष्प्रभाव बहुत कम होते हैं।
अगर कोई टीका समय पर न लगे तो क्या करें?
अगर कभी आपका कोई टीका किसी कारणवश छूट जाता है तो घबराइए मत। आप डॉक्टर से परामर्श लें, वे आपको सही टीकाकरण पूरा करने में मदद करेंगे।
क्या टीके पूरी तरह से बीमारियों से बचाव करते हैं?
हाँ, बिल्कुल! टीकों से बच्चों की संपूर्ण सुरक्षा होती है। यह बच्चों को 90-99% तक सुरक्षित करता है। यदि टीकाकरण के बाद भी कोई बच्चा बीमार होता है, तो बीमारी गंभीर रूप धारण नहीं करती है।
क्या बीमार बच्चे को टीका लगवाना सुरक्षित है?
अगर बच्चे को हल्की सर्दी या बुखार हो तो टीका लगाया जा सकता है, परंतु कोई गंभीर बीमारी हो तो डॉक्टर से सलाह लें।
क्या टीकाकरण से ऑटिज्म का खतरा होता है?
नहीं, यह गलत धारणा है। वैज्ञानिकों को भी शोधों में कोई ऐसा प्रमाण नहीं मिला कि टीके ऑटिज्म का कारण होते हैं।
टीकाकरण के लिए कहाँ जाना चाहिए?
आंगनवाड़ी केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सरकारी अस्पतालों में यह सुविधा मुफ्त में मिलेगी। प्राइवेट अस्पतालों में भी यह सुविधा उपलब्ध है।
टीकाकरण के बाद किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
बच्चों को ज्यादा आराम दें। टीके के बाद हल्का बुखार या सूजन हो तो गीले कपड़े से सेंकें।
Image Credits:
- Images Courtesy: IEC UNICEF