आयुर्वेदिक काढ़ा कैसे बनाएं

आयुर्वेदिक काढ़ा(Ayurvedic kadha): इम्युनिटी बढ़ाने और मौसमी बीमारियों से बचाव का प्राकृतिक उपाय

काढ़ा एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां से बनने वाला पेय पदार्थ है जिसका प्रयोग करके हम अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकते हैं और मौसमी बीमारियों से बचाव कर सकते हैं। आजकल की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में अगर स्वस्थ रहना है तो हमें प्राकृतिक चीजों के उपयोग पर ज्यादा ध्यान देना होगा। तो आज हम ऐसी ही जड़ी-बूटियों से बनने वाले काढ़े (Herbal immunity booster) के बारे में बताएंगे कि इसको कैसे बनाना है और कैसे सेवन करना है। आईए जानते हैं (Ayurvedic kadha) आयुर्वेदिक काढ़ा बनाने की विधि और काढ़ा पीने के फायदे।

Table of Contents

आयुर्वेदिक काढ़ा बनाने की सामग्री (Ayurvedic Kadha recipe in Hindi):

  • 1 कप पानी,
  • 6-7 तुलसी के पत्ते,
  • आधा टी स्पून हल्दी पाउडर, 
  • 2-3 काली मिर्च, थोड़ी अदरक, 
  • आधा टीस्पून अजवाइन, 
  • छोटा टुकड़ा दालचीनी, 
  • स्वाद अनुसार गुड या शहद, 2-3 लौंग

आयुर्वेदिक काढ़ा कैसे बनाएं? काढ़ा बनाने की विधि:

  1. एक कप काढ़ा तैयार करने के लिए एक कप पानी गर्म करें।
  2. जब पानी में अच्छे से उबाल आ जाए तो ऊपर बताई गई सभी सामग्री को काट कर डाल दें।
  3. सारी सामग्री डालकर धीमी आंच पर तब तक पकाएं जब तक की पानी आधा न हो जाए।
  4. जब डाले गए पानी की मात्रा आधी रह जाए तब गैस बंद कर दें और एक-दो मिनट के लिए ठंडा होने दें।
  5. जब काढ़ा थोड़ा ठंडा हो जाए, तब इसे छान लें और स्वादानुसार गुड़ या शहद मिलाकर धीरे-धीरे पिएं।

आयुर्वेदिक काढ़ा पीने के फायदे (Benefits of drinking kadha):

गले की खराश से राहत

गले की खराश के लिए काढ़ा बहुत फायदेमंद है। आयुर्वेदिक काढ़ा पीने से गले की खराश से आराम मिलता है और यह सर्दी-खांसी के लिए भी लाभकारी होता है।

इम्युनिटी बढ़ाने में लाभदायक

इन जड़ी-बूटियां में एंटी-ऑक्सीडेंट मौजूद होते हैं जो कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।

डाइजेशन में लाभकारी

इस काढ़े के सेवन से पाचन तंत्र अच्छा रहता है गैस या उल्टी आदि समस्याओं से बचा जा सकता है।

वजन पर नियंत्रण

इस काढ़े के सेवन से वजन नियंत्रण रहता है मोटापे की समस्या नहीं होती है।

स्ट्रेस कम करने में सहायक

इस काढ़े के सेवन से मानसिक तनाव कम होता है और हृदय स्वस्थ रहता है। इसका सेवन करके वायरल संक्रमण से भी बचा जा सकता है।

डिटॉक्सिफिकेशन में सहायक

यह शरीर से विषाक्त (Toxins) पदार्थों को बाहर निकालने में सहायता करता है।

सर्दी-जुकाम में कारगर

काढ़ा शरीर को गर्म रखता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा के संक्रमण को कम करता है।

इस काढ़े के सेवन के तरीके

किसी भी चीज को सेवन करने से पहले इसके सही तरीके को जानना आवश्यक होता है तभी हमें इसका लाभ मिल पता है अन्यथा वह नुकसान भी कर सकता है। तो लिए इसको पीने के सही तरीका जानते हैं:

  • अगर किसी को तेज सर्दी या बुखार हो, तो इसे दिन में दो बार सेवन करें।
  • हल्की सर्दी होने पर दिन में एक बार इसका सेवन पर्याप्त होता है।
  • इस कार्य को सुबह या रात को सोने से पहले सेवन करना अधिक लाभकारी होता है।
  • प्रेग्नेंट महिलाओं को इसे नहीं पीना चाहिए उनके लिए हानिकारक हो सकता है।
  • इस काढ़े को अधिक मात्रा में नहीं पीना चाहिए क्योंकि इसमें मसाले होते हैं और मसाले का ज्यादा सेवन शरीर के लिए नुकसानदायक होता है।
  • अगर किसी को कोई बड़ी बीमारी है तो उसके लिए चिकित्सक की सलाह जरूर लेनी चाहिए।

निष्कर्ष:

आयुर्वेदिक काढ़ा औषधिये पौधों से तैयार किया जाता है जिसका प्रयोग हम चाय के स्थान पर भी कर सकते हैं आयुर्वेदिक काढ़े का सेवन करके मौसमी बीमारियों से होने वाली समस्याओं के खतरे को कम किया जा सकता है इसलिए इसको अपने दिनचर्या में सम्मिलित करके आप भी स्वस्थ रह सकते हैं।

क्या आपने भी आयुर्वेदिक कार्य का सेवन किया है अगर किया है तो आपको कैसा लगा अपना अनुभव हमें शेयर करें।

FAQs

प्रतिदिन आयुर्वैदिक काढ़ा पीने से क्या होता है?

प्रतिदिन काढ़ा पीने से शरीर में गर्मी का स्तर बढ़ सकता है इसलिए नियमित काढ़े का सेवन नुकसान दायक होता है।

सर्दी में कौन सा काढ़ा पीना अच्छा होता है?

सर्दी के लिए तुलसी, अदरक और काली मिर्च का काढ़ा पीना अच्छा होता है।

क्या बुखार में काढ़ा पी सकते हैं?

हां, बुखार में लौंग, इलायची, अदरक, अजवाइन, आदि का काढ़ा बनाकर पीने से बहुत अधिक राहत मिलती है।

कफ में कौन सा काढ़ा पीने से राहत मिल सकती है?

हल्दी, काली मिर्च, अदरक, गिलोय दालचीनी और लौंग आदि से बना हुआ काढ़ा कफ के लिए फायदेमंद हो सकता है।

अर्जुन की छाल और दालचीनी मिलाकर सेवन करने से क्या लाभ मिल सकता है?

इन दोनों को मिलाकर पीने से रक्त संचार बेहतर होता है और जब रक्त प्रवाह अच्छा रहता है तो हृदय भी स्वस्थ रहता है।

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